कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बच्चों और बुजुर्गों की देखरेख के लिए लोग हर मुश्किल का सामना करने को तैयार हैं। ऐसे में कोई अपने बच्चों को अकेला छोड़ रहा तो कोई परिवार की देखरेख में घर से दूर संकट के समय में बिता रहा है। जिससे मिलजुल कर इस समस्या से निपटा जा सके।
कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने के लिए कोरोना गाइडलाइन का पालन करने के साथ एक सकारात्मक सोच का होना बहुत जरूरी है। ऐसे ही दूनवासी सकारात्मक सोच के साथ अपनों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। जिससे संकट के इस समय से अपनों को बचाया जा सके।
मेरी मां कोरोना संक्रमित थीं। जिसके बाद उन्हें दून अस्पताल में भर्ती कर दिया। ऐसे में अस्पताल में मां, घर पर छोटा भाई और बुजुर्ग पिता की देख रेख में अपने परिवार को छोड़ अपनी मां के घर आ गई। करीब एक सप्ताह भाई और पिता की देखरेख के लिए मैंने अपने छोटे बच्चों को घर पर अकेला छोड़ दिया।
– अनिशा गुप्ता, सुमन नगर, धर्मपुर निवासी
पहले पत्नी और बाद में खुद कोरोना संक्रमित होने के बाद दो छोटे बच्चों को घर पर ही अकेला रखा। संक्रमण से बचने के लिए हर समय बच्चों के साथ हमने भी मास्क लगाने के साथ सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया। कोरोना नेगेटिव होने के बाद भी हम कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन कर रहे हैं।
– सारथी जखमोला, मेडिकल कॉलेज आवासीय परिसर
संक्रमितों और उनके परिजनों की मदद में जुटे सिंघल दंपती
कोरोना से जंग में तमाम राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के साथ ही व्यक्तिगत तौर पर लोग जुड़ रहे हैं। ऐसे ही राजधानी के कालिदास मार्ग निवासी अनुज व उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंघल भी मदद को आगे आई हैं। कालिदास मार्ग निवासी अनुज सिंघल के पिता तीन साल पूर्व गंभीर रूप से बीमार हो गए। पहले तो वह काफी लंबे समय तक अस्पतालों में भर्ती रहे और फिर घर पर ही लंबा इलाज चला।
गंभीर बीमारी होने की वजह से अनुज सिंघल ने पिता के इलाज के लिए आठ ऑक्सीजन गैस सिलिंडर, मिनी वेंटिलेटर, फ्लोमीटर समेत तमाम चिकित्सकीय उपकरण खरीदने पड़े। तमाम प्रयासों के बावजूद पिता को नहीं बचा सके, लेकिन पिता के लिए खरीदे गए उपकरण अब अन्य लोगों की जान बचाने में काम आ रहे हैं। अनुज अब तक 30 से अधिक गंभीर मरीजों को अपनी तरफ से ऑक्सीजन गैस सिलिंडर भरवाकर मुहैया करा चुके हैं।
वहीं अनुज की पत्नी मीनाक्षी प्रतिदिन 25 कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों को मुफ्त भोजन मुहैया कराती हैं। इसमें अनुज अपनी महंगी गाड़ी में भोजन रखकर जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाते हैं। सिंघल दंपती कोरोना की पहली लहर में संक्रमित हो गए थे। इस बार उन्होंने कोरोना संक्रमित लोगों और उनके परिजनों की मदद की ठानी है।
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